विधि - विचार
" एक अधिवक्ता को किसी वाद के न्याय या अन्याय से कुछ लेेना - देेना नहीं है , लेकिन यदि उसका मुुुुवक्किल उससे पूूूछता है तो उसे ईमानदारी पूर्वक बताना चाहिए कि न्याय क्या है और किस ओर है । कोई वाद न्यायपूर्ण है या अन्यायपूर्ण है यह निर्णय करना न्यायाधीश का कार्य है। यदि वकील स्वंय इन्साफ करेगें तो शायद वे मामले मेें भी न्यायालय नही पहुंच सकेंगे , जिनको न्यायाधीश सही पायेंगे ।"
--- शिव प्रसाद श्रीवास्तव एडवोकेट दीवानी कचहरी मऊ (उ.प्र )