विधि - विचार

" न्यायालय के निर्णय अधिनियम नही है। उनको विधायी विधि के रूप में नहीं पढ़ा जायेगा। एक निर्णय की व्याख्या उसकी समग्रता में होगी। निर्णय का अर्थ करने में यह माना जायेगा कि निर्णय विधि के अनुसार दिया गया है । उच्चतम न्यायालय किसी विधि के उल्लंघन में कोई आदेश नही करेगा । निर्णय का अर्थ समझने मे उत्पन्न संदेह या भ्रम इन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर दूर करने चाहिए । " 
[2006  ( 38 )ए.आई.सी . --43 ]
---- शिव प्रसाद श्रीवास्तव एडवोकेट दीवानी कचहरी मऊ  ( उ.प्र )
  
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